बदलते पहाड़ की तस्वीर अब गांव-गांव में नजर आ रही है। यहां के युवा अब सेना में
भर्ती होकर देशसेवा का सपना संजोए हुए हैं। तड़के सुबह से ही दौड़, शारीरिक
अभ्यास और अनुशासन के साथ तैयारी में जुटे ये युवा मेहनती पहाड़ की नई पहचान
बन रहे हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद हौसला बुलंद है। नशे और बेरोजगारी को पीछे
छोड़ते हुए कर्णप्रयाग के युवाओं का यह समर्पण आने वाले समय में क्षेत्र को
एक नई दिशा देगा। गांवों में गूंजते कदमों की आवाज़ बताती है – पहाड़ जाग रहा है।
