ज़्यादातर लोग मानते हैं कि ताज़ा यानी नया चावल ज़्यादा अच्छा होता है, लेकिन वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से देखा जाए तो पुराना चावल शरीर के लिए अधिक लाभदायक माना गया है।
एक हालिया स्टडी के अनुसार, पुराने चावल में नमी कम और रेज़िस्टेंट स्टार्च अधिक होता है। यही वजह है कि इसकी पकने की गुणवत्ता बेहतर रहती है और यह जल्दी नहीं चिपकता। सबसे महत्वपूर्ण बात — इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह डायबिटीज़ के मरीजों के लिए बेहतर विकल्प साबित होता है।
आयुर्वेदाचार्य तन्मय गोस्वाल बताते हैं कि 1 से 2 साल पुराने चावल हल्के और सुपाच्य होते हैं, जबकि नए चावल में अधिक नमी होने के कारण वे भारी और पचने में कठिन माने जाते हैं। पुराने चावल शरीर की गर्मी को संतुलित करते हैं और पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाते हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगर संभव हो, तो रोज़मर्रा के भोजन में कम से कम 1 साल पुराना चावल शामिल करना स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी हो सकता है।
