दिवाली का पर्व भारत में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन घर-घर में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा एकसाथ की जाती है। इसके पीछे पौराणिक और धार्मिक दोनों ही कारण हैं।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली का संबंध सतयुग और त्रेतायुग दोनों युगों से जुड़ा हुआ है।
त्रेतायुग में यह पर्व भगवान राम की अयोध्या वापसी से जुड़ा है, जब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
वहीं सतयुग में यह पर्व समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी के प्रकट होने से संबंधित है।
पौराणिक ग्रंथों में वर्णन है कि भगवान गणेश को देवी लक्ष्मी का दत्तक पुत्र माना गया है। देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री हैं, जबकि भगवान गणेश बुद्धि, शुभता और विघ्नों के नाशक हैं। इसलिए दिवाली के दिन संपत्ति के साथ बुद्धि और सफलता की कामना से दोनों की संयुक्त पूजा की जाती है।
मान्यता है कि जहां लक्ष्मी निवास करती हैं, वहां गणेशजी की कृपा भी आवश्यक है — तभी सुख-समृद्धि स्थायी रूप से बनी रहती है।
