जमीन से जुड़े मामलों में अक्सर खसरा और खतौनी शब्द सुनने को मिलते हैं, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में। खसरा दस्तावेज गांव की जमीन की यूनिक पहचान होता है, जैसे शहरों में प्लॉट नंबर। इसमें भूखंड का क्षेत्रफल, खेती का विवरण, सिंचाई स्रोत और मालिक का नाम दर्ज होता है। वहीं खतौनी जमीन के मालिक के अनुसार तैयार दस्तावेज है, जिसमें उसकी कुल भूमि, उससे जुड़े सभी खसरा नंबर, स्वामित्व विवरण और राजस्व अभिलेख शामिल रहते हैं। ये दोनों दस्तावेज ग्रामीण भूमि विवादों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
क्या होता है खसरा–खतौनी? जानें ग्रामीणजमीन के इन दो अहम दस्तावेजों का महत्व
