जनपद पिथौरागढ़ में वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत सीमांत गांवों के समग्र विकास को लेकर आज कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी आशीष भटगांई की अध्यक्षता में विभागवार समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, पेयजल, ग्राम्य विकास, लोनिवि, पीएमजीएसवाई, बाल विकास समेत विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई।
परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास आशीष पुनेठा ने बताया कि योजना के प्रथम चरण में 24 और द्वितीय चरण में 24 अन्य गांवों को शामिल किया गया है। इस प्रकार कुल 48 सीमांत गांवों का चयन किया गया है जिनका समग्र विकास किया जाएगा। इनमें गुंजी, कुटी, नाभि, बूढ़ी, गर्ब्यांग, रौंसला, गूंठी आदि प्रमुख गांव शामिल हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि अब तक 62 योजनाओं के लिए ₹5.58 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है, जबकि 15 अतिरिक्त योजनाओं हेतु ₹4.46 करोड़ की स्वीकृति अपेक्षित है।
इस योजना के तहत ट्रेकिंग रूट निर्माण, कैलाश म्यूजियम की स्थापना, गूंजी में इनडोर स्टेडियम, सोलर लाइटिंग, सेब-कीवी-सिटरस बागवानी, जड़ी-बूटी संवर्धन और दुग्ध उत्पादन जैसी गतिविधियां प्रस्तावित हैं, जिनसे स्थानीय रोजगार और आय में वृद्धि की संभावना है।
जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने कहा कि “सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। वाइब्रेंट विलेज योजना न केवल पलायन रोकने में सहायक होगी, बल्कि ग्रामीण आजीविका के नए अवसर भी सृजित करेगी।” उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि विकास कार्यों में इको-फ्रेंडली मटेरियल का उपयोग किया जाए और हर गांव के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाए।
मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी को जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि माइग्रेशन-प्रभावित क्षेत्रों में विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रस्ताव शीघ्र प्रस्तुत करें।
मुख्य विकास अधिकारी डॉ. दीपक सैनी ने कहा कि सभी विभाग अपने अधीन प्रस्ताव दो सप्ताह के भीतर
