देशभर में दिवाली केवल दीप और मिठाइयों का पर्व नहीं, बल्कि विविध परंपराओं का उत्सव है। अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को अपने खास अंदाज़ में मनाया जाता है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में भगवान नारायण की मूर्ति के साथ फसलों का विवाह करवाया जाता है, जो समृद्धि और कृषि शुभता का प्रतीक है।
गोवा में सुबह होने से पहले राक्षस नरकासुर के पुतले जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाता है।
धामी (हिमाचल प्रदेश) में लोग ‘पत्थर का मेला’ मनाते हैं, जिसमें परंपरागत पत्थरबाज़ी की रस्म होती है।
वहीं गुमातापुरा (कर्नाटक) में दिवाली के बाद लोग एक-दूसरे पर गाय का गोबर फेंककर अनोखा ‘गोबर उत्सव’ मनाते हैं, जिसे शुभ और शुद्धिकारी माना जाता है।
भारत की यही सांस्कृतिक विविधता दिवाली को हर जगह एक नई रंगत देती है।
