सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई के दौरान एक अहम प्रश्न उठाया है कि क्या सामाजिक सुरक्षा लाभ के लिए आधार कार्ड रखने वाले कथित ‘घुसपैठिए’ को भी वोटर माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि भारत में रहने या काम करने वाले प्रवासियों को आधार देना संवैधानिक नैतिकता का हिस्सा है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। न्यायालय के इस सवाल के बाद वोटर पहचान, प्रवासन और आधार की उपयोगिता को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। Election Commission से विस्तृत स्पष्टीकरण की अपेक्षा है।
आधार रखने वाला ‘घुसपैठिया’ क्या वोटर माना जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल
