पिथौरागढ़ में पंचायत चुनाव से पहले पोलिंग पार्टियों की सूची लीक, निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

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पिथौरागढ़ जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले पोलिंग पार्टियों की सूची लीक हो जाने से निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और गोपनीयता के दावों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पहले चरण के मतदान से तीन दिन और दूसरे चरण से पूरे सात दिन पूर्व ही पोलिंग पार्टियों की सूची तथा संबंधित कर्मियों की जानकारी सार्वजनिक हो गई। यह जानकारी केवल रिटर्निंग ऑफिसर (RO) के पास सुरक्षित रहती है, जिससे अंदेशा है कि सूची वहीं से लीक हुई।

निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार मतदान कर्मचारियों का रेंडमाइजेशन इस तरह से किया जाता है कि उन्हें अपनी तैनाती का स्थान सिर्फ रवाना होने के कुछ घंटे पहले ही पता चलता है। इस प्रक्रिया का मकसद मतदान को निष्पक्ष और गोपनीय बनाना होता है, लेकिन पिथौरागढ़ में यह गोपनीयता भंग हो गई है।

जिले में 24 जुलाई को कनालीछीना, धारचूला, डीडीहाट और मुनस्यारी में तथा 28 जुलाई को बिण, मूनाकोट, गंगोलीहाट और बेड़ीनाग में चुनाव होने हैं। लीक की खबर के बाद निर्वाचन अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी विनोद गोस्वामी ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित कर्मचारियों का रि-रेंडमाइजेशन किया जाएगा और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि केवल दूसरे चरण के मतदान कर्मियों का रि-रेंडमाइजेशन होगा या पहले चरण की पोलिंग पार्टियों को भी बदला जाएगा। यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं रि-रेंडमाइजेशन की प्रक्रिया महज औपचारिकता बनकर न रह जाए।

निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर उठते सवालों के बीच इस मामले की जांच अब जरूरी हो गई है कि लीक किस स्तर पर और किन कारणों से हुई। फिलहाल जिला प्रशासन निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने की बात कर रहा है, परंतु इस लापरवाही ने पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गहरा धब्बा छोड़ दिया है।