122 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग,चंद्र और सूर्य ग्रहण के बीच होगा पितृपक्ष

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पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इसे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत पवित्र समय माना जाता है। इस अवधि में लोग तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्मकांड करके पितरों को स्मरण करते हैं।

इस बार पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू हो रहा है। खास बात यह है कि इसकी शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लगे पूर्ण चंद्र ग्रहण से होगी और समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा, जब सूर्य ग्रहण घटित होगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह संयोग बेहद दुर्लभ है, क्योंकि ऐसा योग पूरे 122 साल बाद बन रहा है। इसी कारण इस बार का पितृपक्ष विशेष महत्व रखता है।