उत्तराखंड में मुनस्यारी के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में ईको हट निर्माण में अनियमितताओं को लेकर भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी एवं तत्कालीन पिथौरागढ़ वन प्रभाग के डीएफओ विनय भार्गव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। वर्तमान में वे पश्चिमी परिक्षेत्र के वन संरक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
यह मामला लगभग 8,000 फीट की ऊंचाई पर बने 10 वीआईपी ईको हट्स, एक ग्रोथ सेंटर और डॉर्मिटरी के निर्माण से जुड़ा है, जो बिना वन (संरक्षण) अधिनियम के तहत आवश्यक स्वीकृतियों के हुआ। जांच के अनुसार, यह निर्माण खलिया रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में हुआ, जिसे वन अधिनियम की धारा 2 एवं 3A के तहत “अपराधात्मक कार्य” बताया गया है।
मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी द्वारा अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच की गई विस्तृत जांच रिपोर्ट में लगभग 1.6 करोड़ रुपये की गड़बड़ी और पर्यटन राजस्व का 70% भाग एक स्थानीय संस्था—मुनस्यारी ईको विकास समिति—को सरकार की स्वीकृति के बिना स्थानांतरित किए जाने की बात कही गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह संस्था एमओयू साइन होने के बाद ही 4 सितंबर 2020 को पंजीकृत हुई थी, जबकि समझौता 28 अगस्त 2020 को कर लिया गया था।
रिपोर्ट में शेल कंपनियों के उपयोग, निर्माण सामग्री की आपूर्ति और प्रबंधन में पैनल के गठन, तथा चार वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट को एक ही दिन में पूरा करने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। चतुर्वेदी ने मामले की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जांच कराने की सिफारिश की है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले माह मामले की जांच को मंजूरी दी थी। शुक्रवार को प्रमुख सचिव (वन) आर.के. सुधांशु ने विनय भार्गव को 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने बताया कि सरकार आगे की कार्रवाई उनके जवाब के बाद तय करेगी।