देहरादून- सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में सभी खाद्य विक्रेताओं के लिए फूड लाइसेंस को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है। सीएम धामी ने स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि देवभूमि में खाद्य सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश 22 जुलाई 2025 को कांवड़ यात्रा के दौरान दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया था। जस्टिस एम. एम. सुंद्रेश और जस्टिस एन. कोटीश्वर सिंह की संयुक्त पीठ ने कहा कि सिर्फ कांवड़ यात्रा ही नहीं, बल्कि हर स्थिति में खाद्य विक्रेताओं को अपने फूड लाइसेंस को दुकान या ठेले पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
उत्तराखंड सरकार पहले ही इस दिशा में सक्रिय रही है। कांवड़ यात्रा से पूर्व राज्य में खाद्य पदार्थों में मिलावट और “थूक” मिलाने जैसे मामलों को देखते हुए सरकार ने संबंधित आदेश जारी कर दिए थे।
हलाल या झटका – स्पष्ट उल्लेख अनिवार्य:
मांस विक्रेताओं और रेस्तरां संचालकों के लिए भी सरकार ने आदेश दिया है कि वे यह स्पष्ट रूप से दर्शाएं कि परोसा या बेचा जाने वाला मांस ‘हलाल’ है या ‘झटका’। यह निर्देश राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिश पर जारी किया गया है ताकि उपभोक्ता को जानकारी में पारदर्शिता मिल सके।
एकरूप फॉर्मेट पर विचार:
राज्य सरकार ने खाद्य विभाग को सुझाव दिया है कि एक निश्चित आकार का फॉर्मेट तैयार किया जाए जिसमें फूड लाइसेंस नंबर, धारक का नाम व अन्य विवरण हों, और उसे दुकानों व प्रतिष्ठानों के बाहर लगाया जाए।
सीएम धामी ने कहा, “उत्तराखंड में थूक जिहाद जैसी घिनौनी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लाखों श्रद्धालु और पर्यटक राज्य में आते हैं, उन्हें और स्थानीय लोगों को शुद्ध व सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है।”