उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के थल क्षेत्र से निकलकर विज्ञान की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले युवा वैज्ञानिक डॉ. मनीष चंद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। उन्हें वर्ष 2026 में ऑस्ट्रेलिया के Australian Nuclear Science and Technology Organisation (ANSTO) द्वारा आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित KAYZERO NAA Workshop में वक्ता (Speaker) के रूप में औपचारिक आमंत्रण प्राप्त हुआ है।
यह वर्कशॉप दुनिया भर में k₀-based Neutron Activation Analysis (k₀-NAA) के क्षेत्र में काम कर रहे चुनिंदा वैज्ञानिकों की सभा मानी जाती है। यहाँ केवल उन शोधकर्ताओं को आमंत्रित किया जाता है जिन्होंने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय और मान्य योगदान दिया हो।
डॉ. मनीष चंद ने k₀-Standardization आधारित Neutron Activation Analysis पर आधारित अपने शोध कार्य से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान बनाई है। उनके रिसर्च को वैज्ञानिक दुनिया में नवीनता, सटीकता और अनुप्रयोगों के लिए सराहा जा रहा है।
साल 2024 में भी उन्हें हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित MTAA-16 (Modern Trends in Activation Analysis) अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, जहाँ उन्होंने भारत में किए गए अपने शोध को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। यह उपलब्धि भी उनके बढ़ते वैज्ञानिक प्रभाव का प्रमाण थी।
डॉ. चंद ने हाल ही में अपनी PhD पूरी की, जिसमें उनका शोध भारत के तीसरे चरण की परमाणु ऊर्जा योजना के अंतर्गत देश के एकमात्र U-233 आधारित न्यूक्लियर शोध रिएक्टर — KAMINI (Kalpakkam Mini Reactor) पर आधारित था।
KAMINI में उनका रिसर्च भारत की बढ़ती परमाणु क्षमता और उन्नत विश्लेषण तकनीकों को नए स्तर पर ले गया है।
यह शोध वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की न्यूक्लियर साइंस क्षमता को एक नई पहचान देता है।
अपने क्षेत्र और देश के लिए प्रेरणा
थल—पिथौरागढ़ जैसे पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचना न केवल डॉ. चंद की प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि उन युवाओं के लिए प्रेरणा भी है जो संसाधनों की कमी के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में आयोजित होने वाले KAYZERO NAA Workshop में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे डॉ. मनीष चंद
