हिमालय और इसके मूलनिवासियों की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान व अधिकारों की रक्षा को लेकर विभिन्न राज्यों में आंदोलन तेज़ हो गए हैं। असम में अहोम, कोच-राजबोंगशी, चुटिया, मटक, मोरान, चाय एवं खस समुदाय जनजाति दर्जे की मांग कर रहे हैं। गोरखालैंड क्षेत्र में 11 गोरखा समुदाय ST दर्जा चाहते हैं। सिक्किम में 12 समुदायों की मांग पर सरकार ने कमेटी बनाई है। लद्दाख व अरुणाचल प्रदेश में 6वीं अनुसूची लागू करने की मांग जारी है। जम्मू-कश्मीर में 2024 में चार समुदायों को ST दर्जा मिला, जबकि अन्य की मांग जारी है। मणिपुर में मैतैई समुदाय, हिमाचल में हाटी व अन्य क्षेत्रों के लोग तथा उत्तराखंड में गढ़वाली–कुमाऊनी समुदाय ST व 5वीं अनुसूची की मांग कर रहे हैं। मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में 6वीं अनुसूची पहले से लागू है।
हिमालयी राज्यों में जनजातीय अधिकारों की मांग तेज़, कई क्षेत्रों में अनुसूची लागू करने पर जोर
