“गुलदस्ते ने मचा दी खलबली! BJP नेता को वर्दी में फूल भेंट कर फंसे पुलिसकर्मी, कप्तान ने दिए जांच के आदेश”

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एक छोटे से गुलदस्ते ने बागेश्वर पुलिस की तटस्थता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री कुंदन सिंह परिहार को वर्दी में रहकर पुलिसकर्मियों द्वारा फूलों का गुलदस्ता भेंट किए जाने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पुलिस महकमे में खलबली मच गई।

वायरल फोटो में कोतवाल कैलाश नेगी और आरक्षी नरेंद्र गोस्वामी वर्दी पहने भाजपा नेता को पुष्पगुच्छ भेंट करते नजर आ रहे हैं। तस्वीर सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं— किसी ने इसे पुलिस की “राजनीतिक नजदीकी” बताया तो किसी ने कहा कि “अब वर्दी भी राजनीति के रंग में रंगने लगी है।”

गुलदस्ता बना विवाद का कारण

जानकारी के अनुसार, भाजपा के प्रदेश महामंत्री बनने के बाद कुंदन सिंह परिहार बुधवार को पहली बार बागेश्वर पहुंचे थे। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। इसी बीच वर्दीधारी पुलिसकर्मी भी उन्हें गुलदस्ता देकर बधाई देते नजर आए।
बस, यहीं से मामला तूल पकड़ गया। तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर आईं, पुलिस विभाग की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे।

कप्तान ने दिए सख्त निर्देश

मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक बागेश्वर ने तत्काल जांच के आदेश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा— “उत्तराखंड पुलिस पूरी तरह निष्पक्ष है। किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के प्रति सार्वजनिक रूप से पक्षपात करना विभागीय आचार संहिता के खिलाफ है। दोषी पाए जाने वाले कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

जनता और विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर बहस छिड़ गई है।
विपक्षी दलों ने इसे पुलिस की राजनीतिक झुकाव का उदाहरण बताया, जबकि आम जनता ने सवाल उठाया कि वर्दी में रहते हुए किसी राजनीतिक दल के नेता को सम्मानित करना कहां तक उचित है?

एक यूजर ने लिखा— “जब कानून की रखवाली करने वाले वर्दी में रहकर राजनीति को सलाम करने लगें, तो आम जनता किससे उम्मीद रखे?”

सबक सोशल मीडिया का

यह मामला बागेश्वर पुलिस के लिए एक बड़ी सीख बन गया है कि सोशल मीडिया के दौर में एक तस्वीर भी विभाग की साख पर भारी पड़ सकती है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच के बाद क्या कार्रवाई होती है और क्या इस “गुलदस्ते विवाद” से पुलिस विभाग भविष्य के लिए कोई सबक लेता है या नहीं।